बौद्धदर्शन (सर्वदर्शन संग्रह)

#व्याप्ति का ज्ञान तादात्म्य और उत्पत्ति से होता है।

#तादात्म्य तथा उत्पत्ति अविनाभाव के दो रूप हैं।

#तादात्म्य का उदाहरण आत्मा है।

·        #उत्पत्ति के अन्तर्गत पञ्चकारण का समावेश है।

·        #एकाकिनी प्रतिज्ञा हि प्रतिज्ञातं  न साधयेत्- सर्वदर्शन संग्रह

·        #भावना चतुष्टय- सर्वं क्षणिकं क्षणिकं, सर्वं दुःखं दुःखं, सर्वं स्वलक्षणं स्वलक्षणं, सर्वं शून्यं शून्यं

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      #शून्य- न सन्नासन्न सदसन्न चाप्यनुभयात्मकम्।

        चतुष्कोटिविनिर्मुक्तं तत्त्वं माध्यमिका विदुः॥

·        #बौद्ध सम्प्रदाय-

1.   माध्यमिक (शून्यवाद)

2.   योगाचार (विज्ञानवाद)

3.   सौत्रान्तिक

4.   वैभाषिक (सर्वास्तिवाद)

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    #माध्यमिक- केवल शून्य स्वीकार करते हैं। वह शून्य चतुष्कोटि (सत्, असत्, सदसत् तथा असन्नासत्) है। यह सम्प्रदाय नागार्जुनकृत माध्यमिक कारिका पर आधारित है।


·        #योगाचार- बाह्यार्थ शून्य परन्तु चित् की सत्ता स्वीकार करते हैं। लंकावतारसूत्र (दस परिच्छेद) इसका प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसमें चित्त के आठ प्रकार बतायें हैं तथा छह विज्ञान स्वीकार करते हैं।

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     #सौत्रान्तिक- बाह्यार्थ तथा मानसिक दोनों पदार्थों को सत् परन्तु बाह्यार्थ का ज्ञान अनुमेय है। यह सम्प्रदाय सुत्तपिटक पर आधारित है। इन्होंने प्रत्यक्ष के लिए चार पदार्थों की आवश्यकता स्वीकार की है- विषय, चित्त, इन्द्रियाँ तथा प्रकाशादि सहायक तत्त्व। यह केवल वर्तमान की सत्ता स्वीकारते हैं।

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        #वैभाषिक- मानसिक तथा बाह्यार्थ दोनों को सत् तथा बाह्यार्थ को प्रत्यक्षगोचर स्वीकारते हैं। ये सभी कालों की सत्ता मानने के कारण सर्वास्तिवादी हैं। इस सम्प्रदाय का आविर्भाव अभिधर्ममहाविभाषा से हुआ है।

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             # बौद्धों ने सामान्य को अप्रमाणिक माना है।

·        #योग- अप्राप्त्यस्यार्थस्य प्राप्तये पर्यनुयोगो योगः।

·        #आचार- गुरुक्तस्यार्थस्याङ्गीकरणमाचारः।

·        #विज्ञानवाद के दो प्रमुख भेद- आलय विज्ञान तथा प्रवृत्तिविज्ञान

·        आलयविज्ञान के सात भेद- चक्षुर्विज्ञान, श्रोत्रविज्ञान, घ्राणविज्ञान, जिह्वाविज्ञान, कायविज्ञान, मनोविज्ञान तथा क्लिष्ट मनोविज्ञान

·       # ज्ञान के चार कारण- आलम्बन, समनन्तर, सहकारी तथा अधिपति

·        #पाँच चित्तविकार/ स्कन्ध- रूपस्कन्ध, विज्ञानस्कन्ध, वेदनास्कन्ध, संज्ञास्कन्ध, संस्कारस्कन्ध।

·        #थेरवाद वैभाषिक सिद्धान्त से सम्बन्धित है।

·        #चार आर्यसत्य- दुःख, दुःख समुदाय, दुःखनिरोध, मार्ग

·        दुःख समुदाय- प्रत्ययोपनिबन्धन तथा हेतूपनिबन्धन

·        हेतूपनिबन्धन/भवचक्र/प्रतीत्यसमुत्पाद

·        #द्वादश भवचक्र- अविद्या, संस्कार, विज्ञान, नामरूप, षडायतन, स्पर्श, वेदना, तृष्णा, उपादान, भव, जाति, जरामरण

·        #अष्टांगिकमार्ग- सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति तथा सम्यक् समाधि  

·       # द्वादश आयतन- मन, बुद्धि, पञ्चकर्मेन्द्रियाँ तथा पञ्चज्ञानेन्द्रियाँ

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       # माध्यमिक सम्प्रदाय-

1.   नागार्जुन- माध्यमिककारिका

2.   आर्यदेव- चतुःशतक, चित्तविशुद्धिप्रकरण

3.   बुद्धपालित

4.   भावविवेक- मध्यमार्थसंग्रह, करमणि

5.   चन्द्रकीर्ति- माध्यमिकावतार, प्रसन्नपदा,चतुःशतकटीका

6.   शान्तिदेव- बोधिचर्यावतार

7.   शान्तरक्षित- तत्त्वसंग्रह

·        # योगाचार सम्प्रदाय

1.   दिङ्नाग- प्रमाणसमुच्चय

2.   धर्मकीर्ति- प्रमाणवार्त्तिक, न्यायबिन्दु, सम्बन्धपरीक्षा, प्रमाणविनिश्चय

3.   असंग- महायानसंपरिग्रह, योगाचारभूमिशास्त्र

4.   मैत्रेयनाथ- अभिसमयालंकारिका

5.   वसुबन्धु- महापरिनिर्वाणसूत्रटीका

6.   स्थिरमति

7.   शंकरस्वामी

8.   धर्मपाल

·        #सौत्रान्तिक सम्प्रदाय

1.   कुमारलात- कल्पनामंडतिका

2.   श्रीलाभ-सौगान्तिक विभाषा

3.   धर्मत्रात

4.   बुद्धदेव

5.   यशोमित्र- अभिधर्मकोशटीका

·        #वैभाषिक सम्प्रदाय

1.   वसुबन्धु

2.   संघभद्र

3.   कात्यायनीपुत्र

4.   शारिपुत्र

5.   वसुमित्र- प्रकरणवाद

6.   अश्वघोष

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