अनुसंधानराहित्यमालस्यं भोगलालसम्। अनुसंधान शब्द अंग्रेजी के रिसर्च शब्द का पर्याय माना जाता है। अनुसंधान शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है जो उपसर्ग, धातु तथा प्रत्यय के योग से निष्पन्न हुआ है। यह शब्द धा धातु के साथ अनु तथा सम् उपसर्ग और ल्युट् प्रत्यय के योग से बना हुआ है। अनु+सम्+धा+ल्युट् (अन)। रिसर्च का तात्पर्य दोबारा से सर्च करना होता है अर्थात् जिसके बारे में पता हो उसके गुण-दोष का विवेचन करना होता है। अनुसंधान शब्द भी वही अर्थ प्रदान करता है कि ज्ञात पदार्थ का सम्यक् रूप से अनुसरण करना ही अनुसंधान है। हालांकि संस्कृत-अनुसंधान की दुनिया में ऐसे अनेक शब्द है जो रिसर्च के अर्थ को प्रभावित करते है। संस्कृत वाङ्मय में अनुसंधान को केवल एक अर्थ में सीमित नहीं रखा है लेकिन यह भी तथ्य है कि इसकी व्यापकता के बावजूद भी यह शब्द रिसर्च शब्द का ही पर्याय माना जायेगा। अनुसंधान का प्रयोग संयोग, विचार, गवेषणा, अन्वेषण, अनुसरण, परिशीलन, अनुशीलन, समीक्षा, स्थापना, सम्यग्धारणा, संप्रयोग, संश्लेषण, सन्निधान, संयोजन, संघटन आदि। अनु(पश्चात्) सन्धानं स्थापनं संयोजनं वा इत्यनुसंधानम्। अर्थात् किसी प्राप्त वस्तु का सूक्ष्म चिन्तन करना, तत्त्वनिस्सारण करना और उन तत्त्वों का लेखन करना अनुसंधान कहलाता है। अनुसंधान में तर्क का होना आवश्यक है क्योंकि कहा भी गया है- यस्तर्केणानुसंधत्ते स धर्मं वेद नेतरः।
भारतीय वाङ्मय में अनुसंधान शब्द का प्रयोग हम देख सकते है-
१. पुरावृत्तकथानुसंधेया- कुमारसम्भव
२. परं ब्रह्मानुसन्ध्यात्- नृसिंहोत्तरोपनिषद
३. यथा कर्त्तव्यमनुसंधीयताम्- हितोपदेश
४. कस्ते निर्बन्धः पदे पदे मामनुसंधातुम्- मृच्छकटिकम्
५. एतौ तौ माम् अनुसंधत्तः- मृच्छकटिकम्
६. प्रसवयोग्यं स्थानम् अनुसंधीयताम् हितोपदेश
७. दुर्गशोधनम् अनुसंधीयताम्- हितोपदेश
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