भारत में लेखन-कला

ना करिष्यति यदि ब्रह्मा लिखितं चक्षुरुत्तमम्।
तत्रेयमस्य लोकस्य नाभाविष्यत् शुभांगति॥

भारत में लेखन की कला की प्राचीनता पर विचार करें तो प्रायशः पाश्चात्य विचारकों का मानना है कि भारतीय लेखन पद्धति यूरोप से प्रभावित है अथवा यूरोप की देन है। परन्तु इसे  समझने का प्रयास करें तो हम देखेंगे कि भारत में लेखन कला आदि काल से रही है जिसका उदाहरण महाभारत काल में गणेश जी का टाईपराईटर होना। अल्बेरुनी का भी मत था कि भारतीय दुर्भाग्य से पराशर से पहले लेखन कला को भूल चुके थे किन्तु कलियुग के आरम्भ में दैवयोग से पराशर पुत्र वेदव्यास ने पुनः इस लेखन कला को प्रभावित किया तथा वेद, पुराण का संकलन एव लेखन कार्य प्रारम्भ किया है। ललितविस्तर में भी ६४ लिपियों का उल्लेख किया गया है जिसमें आदि लिपि बम्पी अर्थात् ब्राह्मी को ही स्वीकार किया गया।  जैन ग्रन्थों में ऋषभदेव ने अपनी पुत्री को लिपि पढाने के लिए ब्राह्मी नामक लिपि का अविष्कार किया था। ह्वेनसाँग ने कहा है कि लेखन कला का उद्भव सर्वप्रथम भारत वर्ष में ही हुआ। चिनी विश्वकोश फा-वान्-शू-लिन में ब्राह्मी को भारत की प्रथम लिपि कहा है। नियार्कस ने कहा है कि भारतवासी कपडे के चिथडो तथा रूई से कागज का निर्माण करते है। कर्टियसन के अनुसार भारतवासी बहुत प्राचीन लिपि के जानकार थे और वे भोज पत्रों पर लेखन कार्य करते थे। मेगस्थनिज के ग्रन्थों से ज्ञात होता है भारत में १०-१० स्टेडिया दूरी पर ठहरने का पता लिखा रहता था। वेदों में स्वरों का वर्णन है, जो बिना लेखन से समझना असम्भव है। इसके साथ एक वृत्तांत भी है जिसमें सावर्णी ने एक सहस्र गायें दान की थी जिनके कान पर आठ का चिह्न अंकित था। रामायण का भी एक उदाहरण है जिसमें परिभाषित होता है कि लेखन का प्रचलन अवश्य रहा था। रामानामांकितं चेदि पश्य देवी अंगुलीयम्। बौद्ध परम्परा में अख्खरिका खेल जिसमें पीठ पर अंक का अंकित किया जाता था यह भी लेखन का महत्त्वपूर्ण उदाहरण है। इसके अतिरिक्त पाश्चात्य विद्वानों ने भारतीय लेखन का इतिहास अपने अनुरूप ही स्वीकार किया है जैसे बर्नेल के अनुसार ब्राह्मी लिपि का अविष्कार फोयनीशियन नामक लिपि से हुआ है। ब्यूलर, डेविड आदि ने ६०० ई. पू. से पहले भारत में लेखनकला को नहीं स्वीकार किया क्योंकि पाणिनि ने अपने ग्रन्थ में किसी लिपि का उल्लेख नहीं किया।  
यह एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आधुनिक आचार्यों को लेखनी अवश्य चलानी चाहिए।   

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