अभिलेख (यू.जी.सी./नेट) भाग-१
यह पोस्ट संस्कृत यू.जी.सी/ नेट के पाठ्यक्रम से सम्बन्धित है। इसमें पाठ्यक्रम के अनुसार अभिलेख विषय के मुख्य बिन्दुओं को चिह्नित करने का प्रयास किया है।
अभिलेखों के लेखक-
लेखक |
अभिलेख |
हरिषेण |
प्रयाग प्रशस्ति |
रविकीर्ति |
एहोल प्रशस्ति |
वत्सभट्टी |
मंदसौर अभिलेख |
रविशान्ति |
हडाहा अभिलेख (रविशंकर) |
चक्रदास |
प्रभावती गुप्ता का पूना ताम्रपट्ट |
बालादित्य |
मिहिरकुल का ग्वालियर अभिलेख |
तथ्य-
१. चक्रपालित- विष्णुमंदिर बनवाया, सुदर्शनझील जीर्णोद्धार, स्कन्दगुप्त का गिरनार अभिलेख
२. सुविशाख- सुदर्शन झील जीर्णोद्धार, रुद्रदामन का गिरनार अभिलेख
३. भिक्षुबल – कनिष्क का सारनाथ बौद्ध प्रतिमा अभिलेख में भिक्षुबल के कार्यों का वर्णन
४. दक्षमित्रा और उषवदत्त- नहपान का नासिक गुहा अभिलेख में दानवर्णन
५. शातकर्णी- नहपान का समकालिन, खारवेल से विरोध
६. वैष्णवसन्त चनालस्वामी- प्रभावती के पूना ताम्रपट्ट अभिलेख में दानवर्णन
७. दत्तदेवी- समुद्रगुप्त की पत्नी
८. मास्की तथा गुर्जरा अभिलेख में अशोक का व्यक्तिगत नाम प्राप्त है।
९. रुद्रदामन के गिरनार अभिलेख में अशोक के द्वारा नहर व्यवस्था का वर्णन है।
१०. अशोक तथा चन्द्रगुप्त मौर्य का नाम रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख
११. अशोक के टोपरा स्तम्भ को फ़िरोजशाह तुगलक दिल्ली लाया।
१२. ब्राह्मी को १८३७ में जेम्स प्रिंसेप ने पढा़।
१३. रुद्रदामन का जूनागढ अभिलेख संस्कृत का प्रथम अभिलेख
१४. समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति की भाषा गद्य-पद्य मिश्रित है।
१५. वत्सभट्टि द्वारा निर्मित मन्दसौर की प्रशस्ति वैदर्भी रीति का आश्रय लेकर लिखी गई है\
१६. वत्सभट्टी पर कालिदास का प्रभाव दिखाई देता है।
१७. एहोल अभिलेख पर कालिदास तथा भारवि का नाम है।
अशोक के अभिलेख में शब्द-
शब्द |
अर्थ |
धम्मलिपि |
धार्मिक लिपि |
देवानां प्रियदसि |
अशोक का नाम |
महानसम्हि |
भोजनागार |
प्रचन्त |
सीमावर्ती प्रदेश |
चोडा़ |
चोल राज्य |
पाडा़ |
पाण्डय देश |
तम्बपण्णी |
ताम्रपर्णी |
सतियपुत्र |
सत्यपुत्र |
केतलपुत्र |
केरलपुत्र |
दुवादसवासाभिसितेन |
कालगणना |
युता |
राजकीय अधिकारी |
राजुके/रज्जुक |
जिला अधिकारी |
प्रादेसिक |
अधिकारी |
धमानुसस्टिय |
धार्मिक प्रवचन |
अपव्ययता |
आवश्यकाताओं को सीमित करना |
अपभांडता |
जमाखोरी न करना |
परिसा |
मन्त्रिपरिषद् |
व्यज्जनतो |
अक्षरशः |
धम्ममहामाता |
धर्ममहामात्रों |
वचम्हि |
पशुशाला |
प्रतिवेदना |
गतिविधियाँ |
प्रतिवेदक |
गुप्तचर |
ओरोधनम्हि |
अशोक का अन्तःपुर |
दापकं |
दान देने की आज्ञा |
वैनीतके |
पूजाघर |
उयानेसु |
उद्यान |
पाषण्ड |
अशोककालीन धार्मिक मत-मतान्तर |
पासंडा |
विभिन्न धार्मिक सम्प्रदाय |
धम्मपरिपुछा |
धार्मिक शास्त्रार्थ |
धम्मयाता |
सर्वधर्मसम्मेलन |
सम्बोधिं इयाय |
बुद्ध की शिक्षा |
धर्ममंगले |
मनु के दश धर्म लक्षण |
धम्मानुगहो |
दानादि |
छुदकेन |
अज्ञानी व्यक्ति |
परत |
परलोक |
धम्मदानं |
धार्मिक उपदेश |
धम्मसस्तवो |
धर्म की प्रशंसा |
पुइञं |
पुण्य |
कलाणागमा |
शास्त्रज्ञान |
महालके |
अधिन प्रदेश |
पलीखाया |
परीक्षा |
पुलिसा |
पुरुषा |
आस्नव |
मानसिक शत्रु |
पुरुषान् |
अधिकारी वर्ग |
धातिये |
धाय |
अशोक कालीन अभिलेख-
१. अशोक के मुख्य १४ अभिलेख हैं तथा ७ स्तम्भ लेख हैं।
२. अशोक के तृतीय अभिलेख से कालगणना प्रारम्भ हुई।
३. पहला अभिलेख, दूसरा अभिलेख, तीसरा अभिलेख, चौथा अभिलेख - गिरनार (महाराष्ट्र)
४. छठवाँ अभिलेख, आठवाँ अभिलेख, दशवाँ अभिलेख, ग्यारहवाँ अभिलेख, चौदवहाँ अभिलेख- गिरनार (सौराष्ट्र)
५. पाँचवा अभिलेख, नौवा अभिलेख- मानसेहरा (पंजाब)
६. सातवाँ अभिलेख, बारहवाँ अभिलेख तथा पन्द्रहवाँ अभिलेख- शहबाजगढी
७. मानसेहरा तथा शबाजगढी के अभिलेखों की लिपि ग्रीक तथा खरोष्ठी है।
८. अशोक के १४ अभिलेखों की भाषा प्राकृत है तथा लिपि ब्राह्मी है, तथा इन अभिलेखों का काल २७२-३२ ई.पू. है
९. अशोक के अभिलेखों का मुख्य विषय-
१. प्रथम- हिंसा और समाज का विरोध, व्यक्तिगत जीवन (राज्यारोहण के १२वें वर्ष में)
२. दूसरा- अशोक के लोककल्याण कार्य, वैदेशिक नीति का संकेत, राज्य विस्तार का परिचय (राज्यारोहण के १२वें वर्ष में)
३. तीसरा- युत, रजुक, प्रादेशिक को अपने क्षेत्र में प्रत्येक ५वें वर्ष घूम-घूमकर उपदेश देना (राज्यारोहण के १२वें वर्ष में)
४. चौथा- अशोक द्वारा धम्म के उपदेश की महत्ता एवं संदेश (राज्यारोहण के १२वें वर्ष में)
५. धार्मिक सहिष्णुता, धर्ममहापात्र के कार्य, प्रशासनिक सुधार (राज्यारोहण के १३वें वर्ष में)
६. अशोक का राज्य के प्रति कर्त्तव्य (राज्यारोहण के १३वें वर्ष में)
७. धार्मिक दृष्टिकोण (राज्यारोहण के १३वें वर्ष में)
८. विहार यात्रा के स्थान पर धम्मयात्रा
९. धम्म मंगल
१०. धम्म
११. धम्म की व्याख्या (राज्यारोहण के १३वें वर्ष में)
१२. धार्मिक सहिष्णुता की नीति, नय अधिकारियों की नियुक्ति (राज्यारोहण के १३वें वर्ष में)
१३. धर्म भावना का जागरण, कलिङ्गयुद्ध, सीमान्तराज्य, राजा के धार्मिक विचार, प्रशासनिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण
१४. धम्मलिपि लिखवाने के उद्देश्य
१०. अशोक द्वारा राज्यारोहण के ८वें वर्ष में कलिङ्ग विजय १३वें शिलालेख में उद्धृत।
११. अशोक द्वारा राज्यारोहण के १०वें वर्ष में बोधगया में धर्मयात्रा ८वें शिलालेख में उद्धृत।
१२. अशोक द्वारा राज्यारोहण के १३ वें वर्ष में धर्ममहापात्रों की नियुक्ति ५वें शिलालेख में
१३. कलिङ्ग का प्रथम शिलालेख- धौली, पुरी ओडिसा, विषय- राज्यादर्श और प्रजावत्सलता का निरुपण
१४. कलिङ्ग का दूसरा अभिलेख- धौली, पुरी ओडिसा, विषय- सीमान्त नीति का विवेचन तथा राज्य के अधिकारी और धम्मकार्य
१५. अशोक के सात स्तम्भ लेख है जिनका स्थान पंजाब प्रान्त के अम्बाला जिले के टोपरा से प्राप्त (देहली टोपरा स्तम्भ लेख)
१६. रुम्मिनदेई स्तम्भलेख- यह लघु स्तम्भ लेख है। यह पररिया के निकट रुम्मिनदेई मन्दिर नेपाल तराई मे प्राप्त हुआ है। इसकी भाषा प्राकृत तथा लिपि ब्राह्मी है। इस स्तम्भलेख का समय राज्यारोहण का २०वाँ वर्ष है। इस स्तम्भ लेख को अशोक द्वारा बुद्ध के जन्मस्थान की यात्रा के स्मारक में बनावाय गया। इसमें उल्लेख है कि अशोक ने यहाँ कर १/६ मुक्त किया।
१७. गुर्जरा तथा मास्कि शिलालेख- ये दोनों लघु शिलालेख है। ये दोनों लेख अशोक के जीवन पर प्रकाश डालते है। इनमें असोकराजस/असोकस शब्द आया है। गुर्जरा (दतिया, मध्यप्रदेश) मास्कि (रायपुर, मध्यप्रदेश)
१८. कान्धार का द्विभाषी- यह अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र कान्धार में स्थित है। इसमें धार्मिक प्रवृत्ति से सम्बन्धित लेख है।
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